Climate Change क्या है जलवायु में परिवर्तन क्यों हो रहे हैं

Climate Change क्या है क्या आपने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना है और ये किस तरह से मनुष्य जाति के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है इसी के बारे में इस पोस्ट में हम जानेंगे।

Climate Change क्या है?

climate change क्या है

Climate यानी जलवायु और Change यानी परिवर्तन अर्थात हमारे धरती के जलवायु में तेजी से हो रहे बदलाव को ही Climate Change कहा जाता है।

Climate Change यानी जलवायु में हो रहे बदलाव के वजह से सभी मौसम अपने अपने जगह से आगे पीछे होने लगते हैं उदाहरण के लिए आपने फरवरी 2021 में गर्मी महसूस किया होगा।

और लगभग सभी लोग पंखा चलाना शुरु कर दिये थे जबकि इस महीने में मौसम के अनुसार ठंड होनी चाहिए और हर साल होता भी है लेकिन अचानक इस साल ये बदलाव क्यों, फरवरी में ही पंखा चलाने की नौबत क्यों आई।

फरवरी महीने में ही पंखा चलाना एवं एयर कंडीशन का मरम्मत शुरू करवा देना इस बात की ओर इशारा करता है कि जलवायु में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं क्योंकि इस महीने में तो पहले ठंड हुआ करती थी पंखा चलाने की नौबत ही नहीं होता था।

हर साल मार्च में होली होती है यानी तीसरा महीना तक होली में सुबह शाम की ठंड रह जाती है बाकी दिन में गर्मी पड़ने लगती हैं लेकिन एक महीना पहले ही फरवरी में गर्मी का मौसम शुरू हो जाना Climate Change में तेजी से बदलाव होने का सूचक है।

लेकिन ये क्या 2 महीने बाद यानी मई के महीने में हम देख रहे हैं कि दिन भर झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है और सुबह 4 बजे भोड़ में रजाई ओढ़ने वाली ठंडी ये आप खुद भी महसूस कर रहे होंगे।

दिल्ली में सन 1901 के बाद सन 2021 के फरवरी में यह दूसरा मौका है जब फरवरी में ही इतना ज्यादा तापमान आकर गर्मी का मौसम महसूस कराने लगा।

वैसे तो फरवरी महीने का अधिकतम तापमान 23 डिग्री के आसपास होता है लेकिन सन 1901 के बाद यानी 120 साल के बाद फरवरी का तापमान 27.9°c हुआ है और ये तेजी से हो रहे Climate Change यानी जलवायु में परिवर्तन के वजह से है।

यानी कि तापमान में सिर्फ 4 डिग्री का बढत अचानक हो जाने से फरवरी में ही पसीने निकलने लगे, अगर ऐसे ही हमारे जलवायु में परिवर्तन होते रहा तो आने वाला समय बेहद खतरनाक हो सकता है।

कुछ साल से जलवायु में बदलाव होने के वजह से हमारे किसान भाई भी परेशान हैं क्योंकि जिस समय बारिश हुआ करती थी और बारिश वाले फसल लगाए जाते थे उस समय बारिश ना होकर कुछ महीने आगे या फिर कभी कभी कुछ महीने पहले ही बारिश शुरू हो जा रही है।

इतना ही नहीं Climate Change के वजह से गर्मियों के मौसम में हम तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी महसूस कर रहे हैं और ठंडी के मौसम में हद से ज्यादा ठंड पड़ने लगता है ये सभी लक्षण जलवायु परिवर्तन के हैं जिसका दुष्प्रभाव हम अभी से देखना शुरू कर दिए हैं।

अगर हम प्रकृति के साथ यूं ही छेड़छाड़ करना बंद नहीं किए तो हमारे पृथ्वी की जलवायु में इतना ज्यादा परिवर्तन हो जाएगा कि यहां पर इंसानों को रह पाना मुश्किल हो जाएगा।

भारत में मौसम विभाग में स्थित लोगों का कहना है कि इस साल अप्रैल, मई और जून में हरियाणा, चंडीगढ़, पूर्वी राजस्थान इत्यादि राज्यों में Climate Change के वजह से सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ सकती है।

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COP 28 Summit में 200 देश के नेता जलवायु परिवर्तन पर इकट्ठा हुए

आपको पता होना चाहिए यह जो अभी 2023 साल चल रहा है यह सबसे गर्म साल रहा है और आने वाला 24 एवं 25 इससे भी गर्म होता जाएगा क्योंकि धरती पर गर्मी तेजी से बढ़ रहा है।

शायद आप ये सोचकर चकित हो सकते हैं कि ये जो गर्मी है ये तेजी से हर साल दर साल बढ़ाते क्यों जा रहा है ये सब जलवायु परिवर्तन के वजह से हो रहा है।

आज यानी 1 दिसंबर 2023 को दुबई में पूरी दुनिया भर से करीब 200 देशों के नेता जलवायु परिवर्तन को लेकर इकट्ठा हुए हैं। इस बैठक का नाम COP 28 Summit रखा गया है।

इसी बैठक में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे और उन्होंनेअपने भाषण में ये कहा कि इस समस्या के लिए भारत जिम्मेदार नहीं है लेकिन इस समस्या को लेकर भारत साथ में खड़ा रहेगा।

कहां जाता है कि पश्चिमी देशों ने अपने तरक्की के लिए प्रकृति का खुलकर दोहन किया जिसके वजह से जलवायु में परिवर्तन होने लगे। दुबई में हुए इस COP 28 Summit जिसका पूरा नाम है Conference of the Party इसका मकसद ये है की खास करके कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगाया जाए क्योंकि जलवायु में परिवर्तन होने का मुख्य वजह यही है।

अगर आसान शब्दों में इसे समझा जाए तो कोयले पेट्रोल डीजल एवं ग्रीन हाउस गैसों के इस्तेमाल होने पर पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड गैसों का बढ़ावा मिलता है और इसे कम करने के लिए ही इस Summit में बातचीत की गई।

जलवायु में परिवर्तन क्यों होते हैं?

हमारा पृथ्वी और पृथ्वी पर जलवायु एवं वनस्पति के वजह से ही हम इंसान इस पृथ्वी पर सुखी संपन्न से रह पाते हैं लेकिन बीते कुछ सालों से विकास के नाम पर हो रहे इस धरती पर बदलाव के वजह से हमें Climate Change का दुष्प्रभाव देखने को मिला है।

शहरों में पेड़ो का तेजी से कटना एवं कंक्रीट और स्टील का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा भवन एवं रोड निर्माण में होना भी Climate Change का एक बड़ा वजह है।

शहरों में तेजी से भवन, रोड एवं रेलवे ट्रैक इत्यादि का निर्माण होने से भी वहां का तापमान गांव के तापमान से दो से 4 डिग्री तक ज्यादा होते हैं।

पूरे विश्व भर में बहुत ज्यादा एयर कंडीशन का इस्तेमाल एवं कंपनियों से निकलने वाले जहरीले गैस एवं द्रव्य का नदी और समुद्र में मिलना भी Climate Change के लिए जिम्मेवार माना जा रहा है।

बहुत ज्यादा एयर कंडीशन एवं जहरीली गैसों के वजह से धरती पर बढ़ रही गर्मी के कारण ग्लेशियर के बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं और इसे आने वाले भविष्य में एक बहुत बड़ा खतरा माना जा रहा है।

Climate Change को कैसे रोका जा सकता है

Climate Change यानी जलवायु में परिवर्तन का मुख्य वजह ओजोन परत में हो रहे छती को माना जा रहा है।

हमारे धरती के ऊपर एक ओजोन परत है जो 6 तरह के गैसों से बनी हुई है और इसमें सबसे ज्यादा ऑक्सीजन गैस का मात्रा है।

ओजोन परत ही सूर्य से आने वाली 99% खतरनाक किरणों से हमें बचाती है और इसी वजह से हमारा पृथ्वी का तापमान संतुलित रहता है ठंड के मौसम में एक हिसाब से ठंड पड़ता है और गर्मी के मौसम में भी एक हिसाब से गर्मि पड़ती है लेकिन ओजोन परत में हो रही क्षति के वजह से अब हमारे जलवायु में परिवर्तन होने लगे हैं।

अभी तक हम Climate Change को टीवी पर देखकर एवं किताबों में पढ़ कर ये सोच लेते थे कि चलो ये सब बातें तो देश के नेताओं और वैज्ञानिकों के लिए है इससे हमें क्या लेना देना है।

लेकिन अब धीरे धीरे Climate Change यानी जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव हमारे दरवाजे तक पहुंच गया है और देश के हर व्यक्ति को इसके बारे में गंभीर होना हमारी जिम्मेवारी है।

Climate Change ना हो यानी हमारे जलवायु में परिवर्तन को रोकने के लिए हमें ही कदम आगे बढ़ाना होगा। एयर कंडीशनर का इस्तेमाल कम से कम करना होगा एवं धरती पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने होंगे।

ओजोन परत में नुकसान क्यों हो रहा है?

हमारी धरती के ऊपर ओजोन परत होने के वजह से ही हम धरती पर इंसान एवं अन्य जीव जी पाते हैं लेकिन आने वाले कुछ वर्षों में हमने ओजोन परत को काफी नुकसान पहुंचाया है।

ओजोन परत में नुकसान बहुत ज्यादा गाड़ियों के चलने से निकलने वाली धुंए से, कोयले के जलने से निकलने वाले जहरीले धुएं से एवं वायु प्रदूषण और बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहे एयर कंडीशनर एवं रेफ्रिजरेटर से निकलने वाली जहरीले गैस के वजह से बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

ओजोन परत अब पहले जैसा नहीं रह गया है धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है जिसके वजह से सूर्य से आने वाली खतरनाक किरणें जो धरती पर जीवो को नुकसान पहुंचा सकती है वो किरणें भी धीरे-धीरे धरती पर आने लगी है।

ओजोन परत में हो रही क्षति के वजह से सूर्य की ज्यादा से ज्यादा किरणें धरती पर पहुंच रही है जिसके वजह से धरती पहले से भी ज्यादा गर्म होता जा रहा है और पृथ्वी का औसत तापमान पहले के मुकाबले ज्यादा हो रहा है।

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धरती पर तापमान बढ़ने से होने वाला खतरा

Climate Change यानी जलवायु परिवर्तन के वजह से जब धीरे-धीरे धरती का तापमान बढ़ने लगेगा तो फिर धरती पर मौजूद बर्फ के ग्लेशियर पिघलने लगेंगे और इस वजह से हमारा समुद्र का जल स्तर ऊपर के तरफ बढ़ने लगेगा।

ज्यादा गर्मी के वजह से धरती पर मौजूद ग्लेशियर के पिघलने के वजह से आने वाला समय यानी लगभग सन 2050 तक समुद्र का स्तर कम से कम 20 फीट ऊपर जाने की संभावना है जिसके वजह से समुद्र के आसपास के शहरें समुद्र के अंदर चली जाएंगी।

Climate Change के कारण समुद्र के जलस्तर बढ़ने के वजह से पूरी दुनिया में करीब 500 शहर समुंद्र के अंदर चले जाएंगे जिसके वजह से करीब 8 सौ करोड़ लोग प्रभावित होंगे।

Climate Change होने से तेजी से पिघल रहे हैं ग्लेशियर

अभी हाल ही में सेटेलाइट से ली हुई तस्वीरों से पता चला है कि दुनिया के सबसे बड़े iceberg जिसका क्षेत्रफल लगभग 4320 वर्ग किलोमीटर है ये अंटार्कटिका से टूट के खिसक कर दक्षिणी महासागर के तरफ जा चुकी है।

4320 वर्ग किलोमीटर का मतलब हुआ कि दिल्ली जैसा तीन शहर, सोचिए इतना बड़ा Iceberg टुट कर खिसक कर एक जगह से दूसरे जगह पर चले जाने का मतलब धरती पर तापमान कितनी तेजी से बढ़ रहा है।

तेजी से पिघलते हुए ग्लेशियर धरती पर जीवन को समाप्त कर सकते हैं क्योंकि ऐसे में पानी का स्तर बढ़ना स्वाभाविक है और फिर मनुष्य एवं अन्य जीव जंतु के रहने के लिए सुखी जगह धीरे-धीरे कम पड़ती जाएगी।

ग्लेशियर के पिघलने से होने वाला खतरा

अगर ऐसे ही Climate change के वजह से पूरी दुनिया के ग्लेशियर धीरे-धीरे पिघल जाए तो धरती का तापमान बढ़कर 60 से 65 डिग्री सेल्सियस तक चला जाएगा।

इतना ज्यादा तापमान में रह पाना इंसान के लिए बहुत मुश्किल भरी बात हो जाएगी और इंसान ही नहीं बल्कि इतना गर्मी को कई सारे जीव जंतु भी नहीं झेल पाएंगे।

ग्लेशियर पिघलने के वजह से पूरी दुनिया में पीने के लिए शुद्ध पानी का संकट भी गहरा जाएगा। पीने का शुद्ध पानी का स्टॉक धीरे-धीरे खत्म होगा और फिर पानी के लिए संघर्ष बढ़ जाएगा।

जैसे ही धरती पर पीने का पानी खत्म होगा वैसे ही यहां मनुष्य जीवन भी धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ने लगेगा।

पृथ्वी पर करीब 2 लाख से भी ज्यादा ग्लेशियर हैं और ऐसे में ये वर्फ का एक विशाल भंडार है। ग्लेशियर के वजह से करोड़ों लोगों को नदियों के द्वारा पानी एवं ऊर्जा का स्रोत मिलता है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

वायुमंडल में मौजूद ग्रीनहाउस गैसेज जैसे मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरो फ्लुरो कार्बन इत्यादि के बढ़ने से पृथ्वी का औसत तापमान तेजी से बढ़ता है और इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।

एक स्टडी के अनुसार सन् 1980 से लेकर अभी तक समुद्र के जल स्तर में 9 इंच की बढ़ोतरी हुई है यानी अगर ऐसे ही Climate Change या जलवायु में परिवर्तन होते रहे तो समुद्र का जल स्तर ऊपर के तरफ उठता जाएगा और फिर धरती पर इंसानों के रहने की जगह कम पड़ते जाएंगे।

समुद्र के जलस्तर के ऊपर उठने का मुख्य कारण बड़े-बड़े ग्लेशियर का पिघलना है और ये ग्लोबल वार्मिंग के वजह से ही होता है।

ग्लोबल वार्मिंग के वजह से ग्रीनलैंड एवं अंटार्टिका में स्थित बर्फ की चादर पिघलते हैं और अगर यही सिलसिला जारी रहा तो समुद्र के जलस्तर में कई फीट की बढ़ोतरी हो सकती है।

दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर सेमिनार एवं गोष्ठियां होती रहती है लेकिन फिर इसे सिर्फ किताबों में ही छोड़ दिया जाता है।

जैसे मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं वैसे ही पृथ्वी का स्वास्थ्य भी ठीक रहे इसके लिए दुनिया भर के लोगों को सिरे से सोचना होगा।

ग्लोबल वार्मिंग को कैसे रोका जा सकता है?

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन को रोकना होगा क्योंकि इससे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ोतरी होती है।

कार्बन उत्सर्जन ग्रीनहाउस गैसेज होती है और ये पृथ्वी के वातावरण में गर्मी को रोक कर रखती है जिसके वजह से धरती का तापमान बढ़ता है।

हर साल करीब 80 लाख टन कचरा इंसानों के द्वारा समुद्र में फेंका जाता है जिसे अभी हाल ही में आए ताउते तूफान में समंदर ने इन कचरे को वापस हमारे पास लौटा दिया था।

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए ग्रीन हाउस गैसेज उत्सर्जन करने वाले उपकरण जैसे एसी, फ्रिज इत्यादि का उत्पादन या उपयोग में कमी लानी होगी।

हमें अपना स्वास्थ्य के साथ हमारी पृथ्वी का स्वास्थ्य के ऊपर भी ध्यान रखना होगा क्योंकि ये पृथ्वी ही मनुष्य एवं अन्य जीव-जंतुओं का घर है, फिलहाल इस घर के अलावा पूरे ब्रह्मांड में कोई और घर दिखाई नहीं दे रहा।

और अंत में

तो हमने यहां पर जाना Climate Change क्या है जलवायु में तेजी से परिवर्तन क्यों हो रहे हैं हमें उम्मीद है आज के इस पोस्ट से आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा।

अगर आपके पास Climate Change या जलवायु परिवर्तन से संबंधित और भी सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें जरूर बताएं।

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