Raksha Bandhan Ka Itihas 2023 | रक्षा बंधन का इतिहास

यहां पर हम Raksha Bandhan Ka Itihas हिंदी में जानेंगे यानी रक्षाबंधन का इतिहास मे पांडवों, श्री कृष्ण एवम शिशुपाल वध से संबंधित और भी बहुत सारी कहानी जो रक्षाबंधन से जुड़ी है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन को एक बहुत बड़ा त्यौहार के रूप में मनाया जाता है और सभी भाई बहनें इस त्यौहार में हिस्सा लेते हैं।

कहते हैं जब राजपूत लड़ाई पर जाया करते थे तब महिलाएं उनके माथे पर कुमकुम का तिलक लगाने के बाद हाथ में रेशमी धागा का राखी बांधा करती थी। एवं उनको विश्वास था कि ऐसा करने से ये धागा उनको लड़ाई में विजय श्री दिलाएगी एवं सुरक्षित वापस आएंगे।

रक्षाबंधन के इतिहास में महाभारत कथा में श्री कृष्ण एवं द्रोपदी से लेकर देवताओं एवं असुरों के बीच लड़ाई की कहानियां जुड़ी हुई है।

इस कहानियों के अनुसार कई बार देवताओं एवं असुरों में महायुद्ध होने पर रक्षाबंधन के धागा ने ही इन युद्ध में देवताओं की जीत दिलाई थी

रक्षाबंधन सदियों से मनाया जाता है एवं इसके इतिहास में कई सारे कथाएं प्रचलित है। यहां पर हम कुछ कथाओं के बारे में बात करेंगे जिससे आप रक्षाबंधन के इतिहास के बारे में समझ पाएंगे। क्योंकि रक्षाबंधन एक बड़ा त्यौहार होने के नाते Raksha Bandhan Ka Itihas सबको जानना चाहिए।

Raksha Bandhan Ka Itihas

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महाभारत में भी रक्षाबंधन त्यौहार का उल्लेख है। जब युद्ध में जेस्ट पांडव युधिष्ठिर महाभारत का भीषण लड़ाई को देखते हुए श्री कृष्ण से पूछे भगवान मैं इस महायुद्ध के संकट को कैसे पार कर सकता हूं तो श्री कृष्ण उनको रक्षाबंधन त्यौहार मनाने का सलाह दिए थे।

श्री कृष्ण का ये कहना था कि रक्षाबंधन का रेशमी डोर में हर आपत्ति से मुक्ति पाने की शक्ति होती है। द्रोपदी द्वारा कृष्ण भगवान को राखी बांधने का एवं कुंती के द्वारा अभिमन्यु को राखी बांधने का बहुत सारे उल्लेख मिलते हैं।

एक और वृतांत के अनुसार श्री कृष्ण के द्वारा शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण के उंगली में हल्की सी खरोच आ गई थी तो द्रोपदी ने अपनी सारी का टुकड़ा फार के उनके उंगली में बांधा था, और यह दिन श्रावण का ही पूर्णिमा का दिन था।

महाभारत में द्रोपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने द्रोपदी के द्वारा किए गए उपकार के बदले में सहायता किए थे। कहते हैं यहीं से एक दूसरे की परस्पर सहायता एवं सहयोग के लिए रक्षाबंधन का पर्व शुरू हुआ था।

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रक्षा बंधन का इतिहास

मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार करीब 6 हजार वर्ष पहले से मनाया जा रहा है एवं इसे हिंदू या सनातन धर्म के लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

इस त्यौहार में सभी भाई अपने बहनों से राखी बंधवाते हैं एवं जिन भाई के बहने नहीं होती है वो भी अपने मुंह बोली बहन से रक्षा सूत्र बंधवाते हैं।

रक्षाबंधन के त्यौहार में कोई भी बहने किसी भी भाई को राखी बांध सकती है ऐसा नहीं है की सगी बहन ही राखी बांधे।

रक्षाबंधन का इतिहास महाभारत काल से चला आ रहा है जब युधिष्ठिर के राजतिलक होते समय श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किए थे तो उनके उंगली से खून निकल रहा था।

श्री कृष्ण के उंगली से खून निकलता हुआ देख द्रोपदी ने अपने आंचल का टुकड़ा फाड़के उनके उंगली में लपेटी थी और फिर श्री कृष्ण ने द्रोपदी के कठिन समय में रक्षा करने का प्राण लिए थे।

आगे चलकर जब युधिष्ठिर द्रौपदी को जुए में हार गए और उनका चीर हरण होने लगा तो श्री कृष्ण अपनी बहन के सुरक्षा के लिए उनको चीरहरण से बचाया था।

तभी से ये रक्षाबंधन का त्यौहार का चलन शुरू हुआ था और तभी से बहने अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती आई है।

एक और कथा के अनुसार रक्षाबंधन का इतिहास देव एवं असुरों के लड़ाई से जुड़ी हुई है।

प्राचीन काल में देव एवं असुरों के बीच लड़ाई चल रही थी और ये लड़ाई इतनी लंबी खिंच गई कि 12 वर्षों तक चली।

इस लड़ाई में देवताओं के हारने की संभावना दिखने लगी और ये देख इंद्रदेव गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे और वहां इंद्र के पत्नी सचि भी उपस्थित थी।

इंद्र के पत्नी सचि ने इंद्र को दुखी देख उनसे कहा, स्वामी कल ब्राह्मण शुक्ल पूर्णिमा का दिन है और मैं आपके लिए एक विधि विधान के साथ रक्षा सूत्र तैयार करूंगी।

आप इस रक्षा सूत्र को ब्राह्मणों से अपनी कलाई में बंधवा लीजिएगा इससे आपकी निश्चित रूप से विजय होगी।

इंद्राणी के कहे अनुसार इंद्र ने उस रक्षा सूत्र को भ्रष्तकी से अपने कलाई पर बनवा लिया और इस प्रकार असुरों के साथ लड़ाई में देवताओं की विजय हुई।

कहा जाता है कि तभी से सभी बहने अपने भाई के कलाई पर राखी बांधने लगी ताकि उनके भाई को हर क्षेत्र में विजय प्राप्त हो होवे।

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रक्षाबंधन कब से मनाया जा रहा है

रक्षाबंधन का त्यौहार करीब 6 हजार वर्ष पहले से मनाए जाने का इतिहास रहा है एवं इस त्यौहार से जुड़ी कई सारी कथाएं बताई गई है।

रक्षाबंधन का त्यौहार मुख्य रूप से भाई एवं बहनों का त्यौहार है इस त्यौहार में बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध के उनकी लंबी उम्र की कामना करती है।

जब पृथ्वी पर देवताओं का अवतार हुआ करता था तभी से रक्षाबंधन त्यौहार का प्रचलन है। भगवान इंद्र, राजा बलि एवं महाभारत में श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई कई सारी कथाएं हैं रक्षाबंधन के संबंध में।

इन सभी कथाओं में किसी न किसी रूप में बहने भाई की कलाई पर राखी बांध के उनको विकट परिस्थितियों से मुक्ति दिलाने में सहयोग की हैं।

वर्तमान समय में भी बहने अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर उनको सदा स्वस्थ एवं लंबी उम्र की कामना करती है एवं भाई भी उन बहनों के सुरक्षा के लिए प्रतिबध होते हैं।

भारत में रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है एवं अन्य देशों में भी बसे भारतीय इस त्योहार को मनाते हैं।

अब हम नीचे रक्षाबंधन के त्यौहार में साहित्यिक प्रसंग के बारे में जानेंगे जिसके ऊपर कई सारे ग्रंथ लिखे गए हैं।

रक्षाबंधन के त्यौहार में साहित्यिक प्रसंग – History of Raksha Bandhan

Raksha Bandhan Ka Itihas में कई सारे साहित्यिक ग्रंथ ऐसे हैं जिनमें रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख मिलता है। हरि कृष्ण प्रेमी का ऐतिहासिक नाटक इनमें बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। ये ग्रंथ 1991 में 18 वां संस्करण प्रकाशित हुआ था।

रामराव सुभानराव बर्गे जी ने एक नाटक की रचना किए थे इन्होंने मराठी में शिंदे साम्राज्य के विषय में इस ग्रंथ को लिखे थे, एवं इसका शीर्षक राखी उर्फ रक्षाबंधन है।

रक्षाबंधन का त्यौहार 50 एवं 60 के दशक में हिंदी फिल्मों का लोकप्रिय विषय रहा था, राखी एवं रक्षाबंधन के नाम से कई सारे फिल्में बनी थी।

1949 एवं 1962 में दो फिल्में राखी नाम से बनी थी, एवं इस फिल्म को ए भीम सिंह ने बनाया तथा इसके कलाकार अशोक कुमार, वहीदा रहमान, प्रदीप कुमार और अमिता थे।

शीर्षक गीत के रूप में लिखा गया इस फिल्म का गीत “राखी धागों का त्यौहार” काफी लोकप्रिय रहा। एक और फिल्म 1972 में बनी जिसे एस एम सागर ने बनाया एवं इसका नाम था “राखी और हथकड़ी”।

इस फिल्म में आरडी बर्मन का संगीत था। सन 1976 में एक और फिल्म बनी जिसे राधा कांत शर्मा ने बनाई एवं इस फिल्म का नाम था “राखी और राइफल”। इस फिल्म मे दारा सिंह ने अभिनय किया था।

एक और फिल्म 1976 में बना जिसे शांतिलाल सोनी ने सचिन और सारिका के सहायता से बनाया एवं इसका नाम था “रक्षाबंधन”।

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तो इस पोस्ट में हमने Raksha Bandhan Ka Itihas जाना यानि रक्षाबंधन का इतिहास वैसे तो रक्षाबंधन का इतिहास बहुत लम्बा चौरा है लेकिन हमने यहाँ पे संछिप्त में कुछ घटनाओ के बारे में जाना।

उम्मीद है history of raksha bandhan का ये भाग आपको पसंद आया होगा अगर फिर भी आपका कोई सवाल या सुझाव है तो निचे कमेंट जरूर करिये 2023 में रक्षाबंधन की सुभकामनाये।

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