पुलिस कॉल डिटेल्स कैसे निकालती हैं जानें एक वकील के जुबानी

अभी के समय में हर डिस्ट्रीब्यूट में कॉल डिटेल्स मैसेज का डिटेल्स लोकेशन की जानकारी काफी महत्वपूर्ण होती है कई ऐसे केश आते हैं जिसमें फैक्ट को प्रूफ करने के लिए कॉल डिटेल्स की आवश्यकता पड़ती है अब केश चाहे किसी भी क्षेत्र में हो उसके लिए कोर्ट कॉल डिटेल्स लाने के लिए बोल सकती है पुलिस टेलीकॉम कंपनियों से उस नंबर की कॉल डिटेल्स निकालने के लिए कार्रवाई करते हैं।

टेलीकॉम कंपनी कितने साल का कॉल डिटेल्स अपने पास रखते हैं

पिछले कुछ साल पहले कानून के हिसाब से टेलीकॉम कंपनी अपने ग्राहकों के कॉल डिटेल्स का डाटा पिछले 1 साल तक के रखती थी परंतु 24 दिसंबर 2021 को दूरसंचार विभाग के तरफ से एक आदेश जारी किया गया जिसमें ये बताया गया कि अब टेलीकॉम कंपनियां पिछले 2 साल का डाटा वो अपने पास रखेंगे जिससे जरूरत पड़ने पर पुलिस वाले टेलीकॉम कंपनियों से कॉल डिटेल्स का डाटा ले सकें।

इस आदेश के बाद अब कोई भी टेलीकॉम कंपनी अपने ग्राहकों के पिछले 2 साल का डाटा चाहे वो कॉल डिटेल्स हो मैसेज डिटेल्स हो या कोई अन्य उसे वो डिलीट नहीं कर सकते हैं वो सभी डाटा निम्नलिखित है।

  • ग्राहक के मोबाइल या लैंडलाइन पर आने वाले वो सभी कॉल डिटेल्स का डाटा।
  • इसके अलावा मोबाइल पर आने वाले सभी टेक्स्ट मैसेजेस।
  • साथ ही मोबाइल चलाने वालों के लोकेशन की भी जानकारी होती है जो टेलीकॉम कंपनियां अपने पास 2 साल तक रखते हैं।
  • हां आपके द्वारा किया गया कॉल में वॉइस रिकॉर्डिंग शामिल नहीं होता है क्योंकि कॉल रिकॉर्ड करना लीगल नहीं है।
  • कॉल डिटेल्स का मतलब ये हुआ कि आप कितने कॉल रिसीव किए हैं एवं कितने कॉल किए हैं और किस-किस समय पर किए हैं।

आपको बता दें कि टेलीकॉम कंपनियां 2 साल तक अपने ग्राहक के डाटा को रखती है लेकिन 2 साल पूरा होने के बाद भी वो अपना मर्जी से उसे डिलीट नहीं कर सकती है उसके लिए उनको दूरसंचार विभाग से परमिशन लेना होगा तभी वो 2 साल के बाद यूजर के डाटा को डिलीट कर पाएंगी।

जब पुलिस किसी भी व्यक्ति को किसी इल्लीगल काम में पकड़ती है और कोर्ट से आदेश आता है उस व्यक्ति के कॉल डिटेल्स निकालने के लिए तो पुलिस वाले टेलीकॉम कंपनियों से संपर्क करके उनसे कॉल डिटेल्स का ब्योरा लेती है लेकिन पिछले 2 साल के अंदर का ही डीटेल्स उनको मिल पाता है।

पुलिस कॉल डिटेल्स कैसे निकालते हैं?

पुलिस के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होता है कि वो किसी के भी कॉल डिटेल्स को निकाल सके या निकलवा सके, हां अगर किसी केस में कोर्ट में ये एप्लीकेशन डाला जाता है तब कोर्ट पुलिस को आदेश देता है कि टेलीकॉम कंपनियों से कॉल डिटेल्स का डाटा लाया जाए।

अगर कोई क्राइम होता है और उससे संबंधित कॉल डिटेल्स की आवश्यकता दिखती है तब कोर्ट उन टेलीकॉम कंपनियों से डाटा देने के लिए बोलता है और फिर पुलिस उनसे डाटा ले जाकर कोर्ट में जमा करती है।

कॉल डिटेल्स के लिए जरूरी पूछताछ की बातें जो पुलिस करती है उन बातों को पब्लिक में नहीं बताई जा सकती है क्योंकि अगर ये सब बातें पब्लिक हो जाती है तो फिर आगे से अपराधी उन सब बातों को ध्यान रखकर इसका फायदा ले सकते हैं।

क्या बिना FIR के पुलिस कॉल डिटेल्स निकाल सकती है?

कोई भी टेलीकॉम कंपनी कॉल डिटेल्स तभी देती है जब कोर्ट के तरफ से आदेश किया हुआ होता है बिना कोर्ट के आदेश के कोई भी टेलीकॉम कंपनी कॉल डिटेल्स नहीं दे सकती है चाहे वो पुलिस मांगे या कोई और।

जब कोई FIR होता है और वो मामला कोर्ट में पहुंचता है और कोर्ट ये देखता है कि कॉल डिटेल्स निकालना जरूरी है तभी कोर्ट उस सिम से जुड़ी टेलीकॉम कंपनी को कॉल डिटेल्स देने के लिए आदेश देता है और फिर पुलिस उस कंपनी से डाटा लेकर आती है।

अगर कोर्ट के आदेश के बिना कोई टेलीकॉम कंपनी किसी व्यक्ति का कॉल डिटेल्स किसी को दे रही है तो फिर वो ये काम कानून के खिलाफ कर रही है और इसके लिए उस कंपनी या उस कर्मचारी के ऊपर कारवाई हो सकता है।

क्या हम खुद से कॉल डिटेल्स निकाल सकते हैं?

आप जिस भी कंपनी के सिम का इस्तेमाल कर रहे हैं उसी कंपनी के ऑफिशियल ऐप के द्वारा 6 महीने तक का कॉल डिटेल्स यानी कॉल हिस्ट्री एवं मैसेज हिस्ट्री और डाटा की हिस्ट्री को डाउनलोड कर सकते हैं और उसे चेक कर सकते हैं। इस विषय पर इसी ब्लॉग पर पहले ही एक पोस्ट लिखा जा सकता है जिसे आप यहां से पढ़ सकते हैं। Call Details Kaise Nikale

इसके अलावा कुछ थर्ड पार्टी ऐप भी होते हैं जिसमें आप अपने मोबाइल नंबर के द्वारा रजिस्ट्रेशन करने के बाद कॉल डाटा एवं मैसेज की हिस्ट्री को डाउनलोड कर सकते हैं लेकिन थर्ड पार्टी ऐप का इस्तेमाल आप अपने जिम्मेवारी पर करें।

कुछ टेलीकॉम कंपनियों ने ई बिलिंग का सिस्टम बनाया हुआ है जिसमें आप अपने उस नंबर से उन कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर पर एक मैसेज भेजते हैं और फिर वो आपके कॉल डाटा एवं मैसेज का हिस्ट्री मुहैया करा देते हैं।

अगर कोई हमारा कॉल डिटेल्स निकाले तो क्या करें?

कई बार धोखे से कुछ Spammers आपके कॉल डिटेल्स निकाल सकते हैं इसके लिए वो अपने फोन में कोई कॉल डिटेल्स निकालने वाला ऐप डाउनलोड करके आप ही के नंबर से रजिस्ट्रेशन करेंगे और फिर आपके मोबाइल पर आए हुए ओटीपी को धोखे से लेकर रजिस्ट्रेशन का काम पूरा करके उसी ऐप से आपका कॉल डिटेल्स निकाल सकते हैं।

इसके अलावा कोई आपसे आपका फोन किसी काम के लिए मांग सकता है और फिर कॉल डिटेल्स को डाउनलोड करके व्हाट्सएप इत्यादि से अपने फोन में भेज सकता है। अगर ऐसा कोई घटना आपको पता चलता है तो आप उसके लिए अपने नजदीकी थाने में पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं लेकिन उसके लिए आपके पास प्रूफ होना चाहिए।

अगर पुलिस पाती है कि किसी ने आपके साथ में धोखा से आपका कॉल डिटेल्स निकाला है तो फिर उस व्यक्ति के ऊपर मुकदमा हो सकता है और उचित कार्रवाई भी की जा सकती है।

इन्हीं सब धोखाधड़ी से बचने के लिए आप अपने फोन को संभाल कर रखें उसमें पासवर्ड लगा कर रखें और किसी भी दूसरे व्यक्ति को देने से बचे। लेकिन अगर आप खुद किसी दूसरे का कॉल डिटेल्स निकालने के फिराक में है तो इससे भी बचे क्योंकि ये इन लीगल है और इसमें आपको सजा भी हो सकती है।

हम कॉल डिटेल्स को कैसे निकाल पाएंगे

आप डायरेक्ट टेलीकॉम कंपनियों से कॉल डिटेल्स मैसेज डिटेल्स या लोकेशन का डिटेल्स नहीं ले सकते हैं क्योंकि उनके पास पड़ा हुआ डाटा पब्लिक रिकॉर्ड नहीं होता है।

लेकिन अगर आपके केस में किसी व्यक्ति का कॉल डिटेल्स इत्यादि डाटा महत्वपूर्ण रखता है तो फिर आप इसके लिए कोर्ट में एक एप्लीकेशन दे सकते हैं और फिर कोर्ट इस डाटा को निकालने के लिए पुलिस को यह आदेश दे सकती है ताकि वो टेलीकॉम कंपनियों से यह सभी डाटा ले सकें।

क्रिमिनल केस एवं सिविल केस दोनों के लिए अलग-अलग प्रोविजन होता है अगर आप क्रिमिनल केस के अंदर में है और पुलिस का पूछताछ जारी है तो फिर आप इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर से आग्रह कर सकते हैं कि आपका जो केस चल रहा है उसमें कॉल डिटेल्स महत्वपूर्ण है।

लेकिन हो सकता है कि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर आपके आग्रह को ना सुने और वो बिना कॉल डिटेल्स के ही रिपोर्ट को कोर्ट में जमा करता है तो आप इसके लिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोर्ट की सेक्सन 91 के अंतर्गत एप्लीकेशन जमा करें और आप कोर्ट से ये आग्रह कर सकते हैं।

लेकिन अगर आप किसी सिविल केस में हैं तो सिविल प्रोसीजर कोर्ट के ऑर्डर 16 रूल्स 7 रीड विथ सेक्सन 151 का एप्लीकेशन जमा करना होता है और कोर्ट के पास यह पावर होता है कि वो ये सभी डाटा को टेलीकॉम कंपनियों से ले सके या मंगवा सके।

Sushiltechvision Team

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